छत्तीसगढ़ प्राकृतिक प्रदेश

प्राकृतिक विभाजन प्रतिशत् क्षेत्रफल
1) छत्तीसगढ़ का मैदान/ 50.34ः 68064 वर्ग कि.मी.
महानदी बेसिन
2) दण्डकारण्य का पठार 28.91ः 39060 वर्ग कि.मी.
3) पूर्वी बघेल का पठार 16.16ः 21863 वर्ग कि.मी
4) जशपुर सामरी पाट 4.59ः 6205 वर्ग कि.मी.

छत्तीसगढ़ का मैैदान

  • इसके भौतिक उपविभाग पेण्ड्रा, लोरमी का पठार, व छुरी उदयपुर की पहाड़ियों छ.ग. के मैदान प्राकृतिक प्रदेश को पूर्वी बघेलखण्ड के पठार को पृथक करते है।
  • इसके अंतर्गत राजनांदगांव, मोहला, तहसील के दक्षिणी हिस्से को छोड़कर कवर्धा, दुर्ग, रायपुर, धमतरी, महांसमुद, बिलासपुर, कोरबा, जांजगीर-चाॅपा, तथा रायगढ़ जिले में सम्मिलित है।

छत्तीसगढ़ का मैैदान

  • क्षेत्रफल – 68064 वर्ग कि.मी.
  • क्षेत्रफल -ः(प्रतिशत्) में – 50.34ः
  • ढाल – पूर्व की ओर
  • शैल समूह – कड़प्पा शैल समूह
  • खनिज – चूना पत्थर एवं डोलोमाइट
  • मिट्टी – लाल-पीली, मिट्टी एवं काली मिट्टी
  • बिलासपुर $ मंुगेली $ कोरबा
  • फसल – चाॅवल, चना, कपास
  • बांध – तांदुला, खरखरा, मरूमसिल्ली, खुड़िया, मिनीमाता, रूद्री विकअप वियर आदि।
  • जलवायु – उष्ण कटिबंध मानसूनी
  • सर्वाधिक तापमान – चाॅपा
  • अधिकतम वार्षिक तापमान – रायगढ़
  • सर्वाधिक ठण्डा स्थान – पेण्ड्रा
  • सर्वाधिक धनत्व – जांजगीर-चाॅपा (420 व्यक्ति वर्ग कि.मी.)
  • लद्यु वनोपज – तेदुपत्ता औश्र बांस
  • मुख्य जनजाति गोड़
  • औद्योगिक विकास व रेत परिवहन यहाँ उच्च है।
  • आकृति – पंखानुमा
  • वन – मिश्रित प्रकार की।

महानदी बेसिन

छत्तीसगढ़ का मैदान
(32018 वर्ग कि.मी.)
1) कोरबा बेसिन
2) दुर्ग – रायपुर का मैदान
3) रायगढ़ बेसिन
4) बिलासपुर रायगढ़ का मैदान

सीमान्त उच्च भूमि
(36046 वर्ग कि.मी.)
1) पेण्ड्रा लोरमी का पठार
2) धमतरी महांसमुद उच्च भूमि
3) छुरी उदयपुर की पहाड़ियाँ
4) मैकल श्रेणी
5) दुर्ग उच्च भूमि

छत्तीसगढ़ का मैैदान:-

  • सबसे बड़ा मैदान प्राकृतिक विभाग है।
  • छ.ग. का हृदय स्थल कहा जाता है
  • छत्तीसगढ़ सभ्यता का पालना स्थल

कोरबा बेसिन

विस्तार – दक्षिण कोरबा में

दुर्ग रायपुऱ का मैैदान

विस्तार – राजनांदगांव के पूर्वी भाग, कवर्धा के दक्षिण भाग, दुर्ग, बालोद, बेमेतरा, धमतरी, गरियाबंद में

रायगढ़ बेसिन

विस्तार – धरमजयगढ़, खरसिया, रायगढ़, दक्षिण कटघोरा

बिलासपुर- रायगढ़ का मैैदान

विस्तार – बिलासपुर, जांजगीर-चाॅपा, रायगढ़,
प्रमुख पहाड़ – दहला पहाड़ (750 मीटर)

पेण्ड्रा-लोरमी का पठार

विस्तार – पेण्ड्रा (बिलासपुर), लोरमी-पंडरिया (मंुगेली) कटघोरा
प्रमुख चोटी – 1. पलमा चोटी (1080 मी.)
2. लाफागढ़ (1048 मी.)
3. खोडरी – खोंगसरा पहाड़

सीमान्त उच्च भूमि:-
यह छत्तीसगढ़ के मैदान के चारों ओर फैला हुआ है।

  1. पश्चिमी सीमान्त उच्च भूमि कवर्धा, राजनांदगांव में विस्तृत है। मैकल पर्वत श्रेणी का हिस्सा है।
    सबसे ऊँची चोटी बदरगढ़ (ऊचाई 1176 मी. है। यह सतपुड़ा पर्वत का भाग है।
  2. पूर्वी सीमान्त उच्च भूमि
    विस्तार:- गरियाबंद, महांसमुद, रायगढ़
    पर्वत – शिशिुपाल पर्वत
    सबसें ऊँची चोटी – धारीडोंगर (ऊँचाई 899 मी.)
    इसे धमतरी महांसमुद उच्च भूमि के नाम से भी जाना जाता है।
    इसके अंतर्गत महांसमुद में खदान की पहाड़ियों शिशुपाल श्रेणी में नारियल पानी तथा धमतरी जिले में सिहावा नगरी की पहाड़ियांे स्थित है।
    उदगम्:- महानदी, लात, जोक नदी
  3. अभ्यारण:- गोमडी, उदयंती, सीतानदी
    जनजाति निवास:- कमार
    पश्चिमी सीमान्त उच्च भूमि:-
    म.प्र. तथा छ.ग. के मध्य प्राकृतिक सीमा का निर्धारण करता है
    मैकल पर्वत श्रेणी में कांदावानी की पहाड़ी (कबीरधामा) तथा राजनांदगांव में चांदीडोगर, चिंतवाडोगर तथा पानाबरस की पहाड़ियों स्थित है।
    अन्य चोटियों में झाला-पहाड़ (1136) देवसानी, लिलवानी व ब्राम्हृणी प्रमुख है
    मैकल पर्वत उच्च किस्म के सागौन के लिए प्रसिद्ध है।
    अभ्यारण – भोरमदेव, अचानकमार, (बायोस्फीयर रिजर्व)
    सतपुड़ा मैकल श्रेणी के बैंगा जनजाति का घर कहा जाता है।
    अगरिया जनजाति व्यारा इसी प्रदेश में लोहे की खोज की जाती है।
    चांदीडोगर- फ्लूटराइट के लिए प्रसिद्ध है
    मैकल पर्वत श्रेणी नर्मदा प्रवाह तंत्र को महानदी प्रवाह तंत्र में अलग करती है।
  4. द्ध छुरी उदयपुर की पहाड़ियों:-
    विस्तार- कोरबा व रायगढ़ में स्थित है।
    इस पहाड़ी के मतिरिंगा नामक क्षेत्र से रिंहद नदी का उदगम् हुआ है।

दुर्ग सीमान्त उच्च भूमि:-
विस्तार:- डोण्डोलोहारा (बालोद) अम्बागढ़ चैकी (राजनांदगांव दुर्ग)
ऊँची चोटी:- दल्लीराजहरा (700 मी.) डोंगरगढ़ (704 मी.)
बद्धधमतरी महांसमुद उच्च भूमि:-
विस्तार:- धमतरी, महांसमुद $ गरियाबंद
विशेष – पूर्व की सबसें ऊँची चोटी धारीडोगर (ऊँचाई – 899 मी.) है।
कद्धमैकल पर्वत श्रेणी:- (आकृति अर्धचंदाकर)
ऽ सिहावा पर्वत मैकल का हिस्सा है।
ऽ विस्तार:- कवर्धा, मंुगेली, राजनांदगांव, बिलासपुर,
ऽ यह शिवनाथ व वेनगंगा के मध्य जल विभाजक का कार्य करती है
ऽ यह प्रदेश पश्चिम में जलवायु विभाजक का कार्य करती है। जोे दक्षिण पश्चिम मानसून की अरब सागर शाखा में आने वाली पवनों को अवरूहद कर वृद्धि कवर्धा में छाया प्रदेश का निर्माण

  1. दण्डकारण्य का पठार या इन्द्रावती बेसिन:-
    प्रदेश के दक्षिण में स्थित प्राकृतिक प्रदेश जो धारवाल युगीन शैल समूह ग्रंेनाइट व नीस से समृद्ध है। इसलिए इसे खनिजों की भूमि कहा जाता है। यह प्राकृतिक क्षेत्र गोदावरी नदी अपवाह तंत्र का हिस्सा है।
    क्षेत्रफल:- 39,060 वर्ग कि.मी.
    क्षेत्रफल:- प्रतिशत् में 28.91 प्रतिशत्
    ढाल:- पश्चिमी फिर दक्षिण की ओर
    शैल समूह – धारावाढ़ शैल समूह
    खनिज – लौह अयस्क, कोरण्डम्, टीन, मायका आदि।
    मिट्टी – लाल रेतीली मिट्टी
    फसल – मोटे अनाज, कोदों कुटकी आदि।

दण्डकारण्य का पठार

नदी – इन्द्रावती, कोटरी, शबरी
ऊॅंची चोटी – नन्दीराज (बैलाडीला, 1210 मी.)
वन – साल, सागौन, अधिकांश वन मिश्रित है।

  • बस्तर में साल वनों की अधिकता के कारण बस्तर को साल वनों का द्वीप कहा जाता है।
     जनजाति – मुरिया, माडिया
     सर्वाधिक वर्षा वाला स्थल – अबूझमाड की पहाड़ी (187 से.मी.)
     मिट्टी – लाल रेतीली व बलुई मिट्टी
     जलवायु – उष्ण आर्द्र मानसूनी जलवायु
     विशेष – दूसरा बड़ा भौगोलिक क्षेत्र
  • आघ महाकल्प युग की ग्रेनाइट तथा नीस का एक विस्तृत प्रदेश
    -बीन्ता घाटी – ‘बस्तर का कश्मीर‘ कहलाता है
  • बैलाडीला की पहाड़ियाॅं जिसे आकाश द्वीप भी कहते हैं, बैलाडीला सर्वश्रेष्ठ लौह अयस्क के लिए प्रसिध्द हैं।
  • नारायणपुर, बीजापुर व सुकमा मे उच्च साल वृक्ष तथा द्वितीय श्रेणी का सागौन मिलता है।
  • जैव विविधता के क्षेत्र मे संपन्न क्षेत्र।
  • केशकाल – बस्तर का प्रवेश द्वार।
     यह दण्डकारण्य का पठार राजनांदगांव जिले के मोहला तहसील भाग तक विस्तृत है।
  1. केशकाल कगार – “बस्तर का प्रवेश द्वार“
     स्थानीय नाम – तेलीन घाटी
     विस्तार – कोण्डगांव
     मोडदार मार्ग – 12
     विशेष – यह महानदी व इन्द्रावती नदी के मध्य जलद्विभाजक का कार्य करती है।
  2. कोटरी बेसिन – “कांकेर बेसित“
     विस्तार – पखांजुर, भानुप्रतापपुर और मोहला तहसील में हैं।
     इन्द्रावती की सबसे बड़ी सहायक नदी है (कोटरी)
     कोटरी नदी नारायणपुर व महाराष्ट्र की सीमा बनाती है।
  3. बस्तर का पठार –
     विस्तार – कांकेर, कोण्डागांव, केशकाल, जगदलपुर, दंतेवाड़ा,
    अंतागढ़, बीजापुर.
     प्रमुख घाटी – दरभा घाटी (बस्तर)। झीरम घाटी (सुकमा) कांगेर घाटी (जगदलपुर)
  4. बस्तर या इन्द्रावती का मैदान –
     विस्तार – बीजापुर और सुकमा का दक्षिण पश्चिम हिस्सा
    निर्माण – इन्द्रावती नदी द्वारा
     इन्द्रावती नदी को बस्तर की जीवन रेखा कहा जाता है।
  5. अबूझमाड़ की पहाड़ी –
     विस्तार – नारायणपुर, बीजापुर, दंतेवाड़ा
     अवस्थिति – पठार के दक्षिण-पश्चिम हिस्से में
     घाटी – यहां स्थित कुरसेल घाटी से सर्वोच्च किस्म के सागौन वनों की प्राप्ति होती है।
  6. रावघाट की पहाड़ी –
     विस्तार – कांकेर, नारायणपुर
     अवस्थिति – दक्षिण पश्चिम में
     लौह अयस्क परिवहन हेतु इसे रेल मार्ग से जोड़ा जा रहा है।
  7. बैलडिला की पहाड़ी –
     विस्तार – दंतेवाड़ा, बीजापुर, सुकमा
     ऊॅंची चोटी – नंदीराज, दंतेवाड़ा (1210 मी.)
     प्रमुख शाखा – बरहा डोंगरी (बीजापुर, दंतेवाड़ा)
     लौह अयस्क – किरंदुल (1968), बैलाडीला (1988), बचेली
     विशेष – सर्वोत्तम लौह अयस्क की प्राप्ति। बैलाडिला खान से लौह अयस्क विशाखपट्टनम बंदरगाह के माध्यम से जापान को
    आपूर्ति की जाती है। यह बस्तर क्षेत्र का सबसे बड़ा पहाड़ है जहां धारवाड शैल का विस्तार मिलता है।

3.पूर्वी बघेलखण्ड का पठार –

क्षेत्रफल – 21863 वर्ग कि.मी.
क्षेत्रफल प्रतिशत – 16.16 प्रतिशत
ढ़ाल – उत्तर की ओर
शैल समूह – गोण्डवाना शैल समूह
खनिज – कोयला
मिट्टी – लाल पीली व लेटेराइट मिट्टी
फसल – चावल चना
नदी – हसदेव, बनास, गोपद, रिहन्द, कन्हार
ऊॅंची चोटी – देवगढ़ की चोटी (1033 मी.)
वन -सागौन
जलवायु – उष्ण आर्द्र मानसूनी
विशेष – बघेलखण्ड का पठार के पूर्वी भाग का विस्तार छत्तीसगढ़ में है। जिसे पूर्वी बघेलखण्ड का पठार कहा जाता है।
यह पठार महानदी एवं मंगा का जल विभाजक क्षेत्र है।
पठार में उच्चावच्च अधिक है।
पूर्वी बघेलखण्ड के पठार का कुल 47.32 प्रतिशत छ.ग. में आता है।
इस पठार के 3 सतह है –

  1. पूर्वी सरगुजा बेसिन की सतह (550 मीटर)
  2. सोनहत का पठार (755 मीटर)
  3. देवगढ़ की पहाड़ी (1033 मीटर)

पूर्वी बघेलखण्ड पठार के निम्नलिखित उपविभाग है –

  1. कन्हार बेसिन – (ब्ण्ळण्सहित न्च़्डच् में भी विस्तार)
    विस्तार- बलरामपुर (तहसील – रामानुजगंज)
  • बघेलखण्ड का सबसे पूर्व भाग
  • छत्तीसगढ़ के सबसे उत्तर में तथा बलरामपुर के उत्तर रामानुजगंज में
     कन्हार नदी द्वारा निर्मित इस बेसिन का विस्तार छत्तीसगढ़ सहित झारखण्ड व उत्तरप्रदेश में भी है।
  1. रिहन्द बेसिन –
     विस्तार – बलरामपुर (वाड्रफनगर तहसील में)
     सिंगरौली बेसिन भी कहते है।
     रिहन्द नदी दक्षिण में स्थित छुरी मतिरिंगा नाम की पहाड़ी से निकलती है।
     यह देवगढ़ की पहाड़ियों के ठीक उत्तर में तथा कन्हार बेसिन के पश्चिम में फैला है।
    चांगभरवार
  2. देवगढ़ की पहाड़ी –
     विस्तार – कोरिया, सुरजपुर, बलरामपुर
     महानदी की सहायक हसदों नदी देवगढ़ की पहाड़ियों निकलती है।
     ऊॅंची चोटी – देवगढ़ (1033 मीटर)
     देवगढ़ की पहाड़ी के उत्तर में गोपद तथा रिहन्द जलविभाजक सीमा पर देवसर पहाड़ी प्रदेश स्थित है।
  3. सरगुजा बेसिन –
     यह देवगढ़ तथा मैनपाट तथा छुरी उदयपुर की पहाड़ियों से घिरा हैं।
     नदी – रिहन्द नदी
     विशेष – रामगढ़ की पहाड़ी, जहां सबसे बड़ा नाट्यशाला (सीताबेंगरा गुफा) है, इसी नदी बेसिन का भाग है।
     रामगढ़ की पहाड़ी –
     अवस्थिति- सीतापुर, सरगुजा
     भौतिक विशिष्टता- यह पहाड़ी सरगुजा बेसिन के अंर्तगत रिहंद नदी के प्रवाह क्षेत्र में स्थित है। नदियों के अपरदन के कारण
    विभिन्न गुफाओं में कदाराओं का निर्माण हुआ है।
     जोगी मारा गुफा – यहाॅं से 2-3 शताब्दी ई. पू. मौर्यकालीन सम्राट अशोक के लेख प्राप्त हुए है। इस अभिलेख के अनुसार प्राचीन
    काल में नाट्य परंपरा से जुड़े नर्तक अपनी कला का प्रदर्शन करने थे। इस गुफा में परंपरा की नृत्यांगना सुतनुका एवं बनारस
    निवासी देवदत्त नामक नर्तक प्रेम संबंधों का पर्णन मिलता है।
     सीताबेंगरा गुफा – यह विश्व की प्राचीनतम नाट्यशाला मानी गयी है। इस गुफा के भीतरी भाग में मंच व दर्शन दीर्घ के लिए
    चट्टानों को काटकर नाट्यशाला बनायी गयी थी।
     लक्ष्मण गुफा- यह भगवान लक्ष्मण को समर्पित गुफा है। जिसके प्रवेश द्वार को मानक मुखाकृति के समान बताया गया है।
     सीताकुण्ड- रामायण काल में भगवान श्री राम ने प्रवास के दौरान यहां जलसंग्रहण कुण्ड बनवाया जो वर्तमान में सीताकुण्ड के
    नाम से प्रसिध्द है।
     विशेष – भारत के प्रसिध्द कवि कालिदास ने अपनी प्रसिध्द रचना मेघदूतम् में रामगढ़ की पहाड़ी का वर्णन किया है।
  4. सोनहत – कोरिया की पहाड़ी –
     विस्तार – कोािरया, सूरजपुर
     यहां से बनास नदी का उद्गम हुआ है।
  5. हसदो – रामपुर क्षेत्र –
     विस्तार – दक्षिणी कोरिया जिला
     इसके दक्षिण पूर्व में पेण्ड्रालोरमी का पठार, दक्षिण-पश्चिम में कोरबा बेसिन, दक्षिण-पूर्व में छुरी-उदयपुर की पहाड़ियाॅं, उत्तर पूर्व में सरगुजा बेसिन तथा उत्तर में देवगढ़ की पहाड़ियाॅं है।
  6. जशपुर सामरी पाट –
    चित्र: जशपुर सामरी पाट
     पाट का अर्थ – शिखर वाले पठार
     क्षेत्रफल – 6205 वर्ग ाण्उण्
     क्षेत्रफल प्रतिशत – 4.59 प्रतिशत
     निर्माण – प्राचीन शैलों से
     शैल समूह -ढक्कन टैªप
     खनिज – बाक्साइट
     मिट्टी – लाल पीली, लेटेराइट व कछारी
     फसल – चावल, मक्का, गेहॅंु
     नदी – मांड, ईब
     ऊॅंची चोटी – गौरलाटा (1225 मीटर)
     वर्षा – जशपुर में सर्वाधिक
     जलवायु – उष्ण कटिबंधीय मानसूनी
     जनजाति – उरांव, पण्डों, भंुजिया
    नोट- सबसे उत्तर का पाट क्षेत्र – सामरी
    सबसे पूर्व का पाट क्षेत्र – जमीरपाट
    सबसे दक्षिण का पाट क्षेत्र – जशपुर
    सबसे पश्चिम का पाट क्षेत्र – मैनपाट

 प्रदेश में पाट प्रदेश की उत्तर से दक्षिण लम्बाई 150 कि.मी. एंव से पश्चिम चैड़ाई 85 कि.मी. है।

  1. मैनपाट – छ.ग. का शिमला
     अवस्थिति – सरगुजा
     विस्तार – अंबिकापुर, सीतापुर तहसील, सरगुजा
     विशेष – टाइगर प्वांइट, मेहता प्वांइट, मछली प्वांइट, इको प्वांइट, मांड नदी का उद्गम, सरभंजा जलप्रपात
  • 1962 में तिब्बियों को बसाया गया।
  • एकमात्र भू-कम्पित जलजली क्षेत्र यहां स्थित है।
  • पावेलियन प्रजाति का कुत्ता
  • छोटा तिब्बत की उपमा, सबसे ठण्डा स्थान
  1. जारंग पाट – विस्तार – बलरामपुर, सरगुजा
     यह राज्य का सबसे बड़ा बाक्साइट का भंडारण क्षेत्र माना गया है।
  2. जमीर पाट – विस्तार -बलरामपुर
    इसे बाक्साइट का मैदान कहा जाता है।
  3. पण्डारापाट – विस्तार – जशपुर
    यहां से ईब व कन्हार नदी निकलती है।
  4. जशपुर पाट – (निम्न घाट)
     विस्तार – जशपुर
     अन्य नाम – ईब – मैनी घाटी
     विशेष – यह राज्य का सबसे बड़ा व लम्बा पाट है।
     इसके उत्तरी क्षेत्र में पण्डरापाट स्थित है।
  5. सामरी पाट –
     छ.ग. की सर्वोच्च चोटी गोरेलाटा (1225 मीटर)
     दक्षिणी बलरामपुर में सामरी पाट का विस्तार
     छ.ग. का सबसे ऊॅंचा पाट
     कन्हार नदी सामरी पाट को दो भागों में विभाजित करता है-
  6. पूर्व को जमीरपाट
  7. पश्चिम को लहसुन पाट

क्र. पहाड़ियाॅं ऊॅंचाईयाॅं क्षेत्र

  1. गौरलाटा 1225मी. सामरीपाट(बलरामपुर)
  2. नन्दीराज 1210मी. बैलाडीला(दन्तेवाड़ा)
  3. बदरगढ़ 1176मी. मैकाल श्रेणी
  4. मैनपाट 1152मी. सरगुजा
  5. अबूझमाड़ की 1076मी. नारायणपुर
    पहाड़ियाॅं
  6. पलमा की चोटी 1080मी. मैकाल श्रेणी
  7. लाफा पहाड़ी 1048मी. कोरबा
  8. जारंग पाट 1045मी. बलरामपुर, सरगुजा
  9. देवगढ़ की पहाड़ी 1033मी. कोरिया
  10. धारी डोंगर 899मी. महासमंुद
    (शिशुपाल)
  11. पेण्ड्रा लोरमी 800मी. बिलासपुर
  12. दलहा पहाड़ 760मी. अकलतरा (जंजागीर-चांपा)
  13. डोंगरगढ़ की पहाड़ी 704मी. डोंगरगढ़
  14. दल्लीराजहरा 700मी. बालोद
  15. छुरी मतिरिंगा उदयपुर की पहाड़ियाॅं कोरबा, जशपुर, रायगढ़
  16. जशपुर पाट जशपुर
  17. रामगढ़ की पहाड़ियाॅं सरगुजा
  18. कैमूर पहाड़ कोरिया
  19. सोनहत की पहाड़ी कोरिया
  20. सिहावा पर्वत धमतरी
  21. आरीडोंगरी भानुप्रतापपुर (कांकेर)
  22. गड़िया पहाड़ी कांकेर
  23. कुलझारी पहाड़ी राजनांदगांव
  24. भातृनवागढ़ नारियर पानी गरियाबंद
  25. रदन की पहाड़ी महासमंुद
  26. कोड्डापल्ली, मड्डापल्ली, अलबारवा बीजापुर
  27. छातापहाड़ बलौदाबाजार

बेसिन का मैदान –

  1. रायपुर – दुर्ग का मैदान – रायपुर, दुर्ग संभाग
  2. बिलासपुर – रायगढ़ का मैदान – बिलासपुर ़जांजगीर-चांपा़रायगढ़
  3. बस्तर या इन्द्रावती का मैदान – बीजापुऱसुकमा
  4. धमतरी – महासमंुद उच्च भूमि – धमतरी़गरियाबंद़महासमंुद
  5. कोटरी बेसिन – उत्तरी नारायणपुऱदक्षिण-पश्चिम कांकेर
  6. रायगढ़ बेसिन – रायगढ़ जिला
  7. कोरबा बेसिन – कोरबा जिला
  8. सरगुजा बेसिन – अम्बिकापुर (सीतापुर)
  9. हसदेव रामपुर का बेसिन – दक्षिणी कोरिया़उत्तरी कोरबा
  10. कन्हार का मैदान और बेसिन – उत्तरी बलरामपुर
  11. रिहन्द नदी का मैदान व बेसिन – उत्तरी नारायणपुर दक्षिण पश्चिम कांकेर